वैसे इंसानी जज्बात और खयालात के कई किस्से नुमायां जिनसे नए उम्र के नौजवानो और किशोरों को अवगत कराना हमारी ज़िम्मेदारी होती है। क्यंकि ऐसा ही समझ कर कोई हमसे बड़ा भी हमें इन चीज़ों से कभी अवगत करा चूका होता है अगर उस वाक्यात और किस्सों में कुछ जुरता है तो वो होता है हमारा अपना अनुभव।
मेरी उम्र कोई १० साल रही होगी जब से चीज़ों को परखना शुरू किया था घरके हालात ऐसे न थे के बचपन ऐश ओ आराम में गुजारूं मगर हाँ फिरभी बहुत अच्छा था मेरा बचपन। बचपन में आदमी क्या मिस करता है ये उस वक्त पता नही चलता क्यूंकि उस वक्त इन चीज़ों की फ़िक्र नही होती जो आपके पास होता है वही आपको सबसे बड़ा बलवान और धनि बनाता है। दूसरी चीज़ों के मिस होने का पता तो आपको तब चलता है जब आप जी होश हो जाते हो क्यंकि उस वक्त आप ये समझ पते हैं की अच्छा ये चीज़ भी है बचपन ऐसा भी हो सकता था। यही कारन है की ज्यादा तर लोग अपने बचपन को सही तरीके से एन्जॉय न कर पाने की शिकायत करते है।
मेरे साथ मेरे जिंदगी में कई मिरेकल हुवे है कई ऐसी चीज़ें हुईं है जिसकी मुझे उम्मीद न थी। शायद सबके साथ होता होगा। अनजानों का सहारा और मुसीबत में मदद उसमें से कुछ एक है।
सबसे गहन छाप जो मेरे दिमाग पे किसी चीज़ ने छोरा है वो ये है की समाज और रिस्तेदार जो मेरा मजाक उड़ाते हैं उससे मुझे ऊर्जा मिलती थी न जाने कोनसे सूत्र लागु होते थे मगर मुझे ऊर्जा मिलती थी। ऊर्जा कुछ कर गुजरने की, ऊर्जा शांत रहने की, ऊर्जा बातों को भूल जाने की, ऊर्जा संस्कारी बनने की, ऊर्जा पलट कर जवाब न देने की, ऊर्जा हालत से लड़ने की, ऊर्जा भूखे रहने की, ऊर्जा पढ़ते रहने की, ऊर्जा आंसुओं को पि जाने की ऊर्जा वक्त का इन्तेजार करने की और ऊर्जा आपने आपको समझने की इत्यादि। ...
जब कोई मेरा मजाक उडाता और वहीँ बैठे किसी दूसरे का होसला अफ़ज़ाई करता एक ही चीज़ों पे तो ये बहुत खलता था मगर मैं इसको सकारात्मकता से लेता था और अब भी लेता हूँ क्यंकि ये बात मुझे ये सोचने पे मजबूर करती थी के किस वजह से कोई हमरा मजाक उडाता है क्यों कोई हमारी एक भूल को मेरे खिलाफ हथियार बना के इस्तेमाल करता है क्यों कोई मेरे सामने मेरे पूवजों के वैसी बाते करता है जससे वो मुझे अपने से कमतर दिखा सके।
और इनसब का कारन था की वो हमरे अतीत से नफरत नही करते थे बल्कि वर्तमान से जलने लगे थे और वो हमें एहसास ऐ कमतरी में झोंकना चाहते थे। मगर किसी का गिरना या ऊपर उठना ऊपर वाले के हाँथ में है। सो जिन्हे ऊपर उठाना होता वो मालिक उसको इतनी सब्र तो जरूर देता ही की वो समाज के साइलेंट किलर के वार को बे असर करदे।
अगर आपका कोई मजाक उड़ाए तो आप क्रोध व्यक्त न करें और न ही कोई जवाब दे आप अपने काम में लगेरहें यही उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी की वजह होगी की आप पे उसके बातों का कोई असर नही हो रहा है। ऐसे लोगों का मकसद ही होता है आपको क्रोधित कर आपको मूल मुद्दे से दूर करदेना। इसकी मिसाल बस ऐसे ही है की अगर आपको कोई निचा दिखाए तो आप उस ऊंचाई पे चढ़ जाइए जहाँ से लोग अपने आपको छोटा महसूस करने लगें। और सबसे बड़ी बात आप किसी से उससे अपने ऊपर किये गए अत्याचार का बदला न लें। माफ़ करदें फिरदेखिए की वो आपका दोस्त बंजायेगा और लोगों में आपकी खूबी कहता फिरेगा। और तरह से आपका एक दुश्मन काम हो जायेगा।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यंकि मेरे ख्याल में नए दोस्त बनाने से कहीं बेहतर ये होता है की आप अपने दुश्मन काम करलें।
कये दोस्त बनके हमेशा इंसान फायदे में नही हो सकता मगर दुशमन करके इंसान हमेशा फायदे में ही रहता है।
मेरी उम्र कोई १० साल रही होगी जब से चीज़ों को परखना शुरू किया था घरके हालात ऐसे न थे के बचपन ऐश ओ आराम में गुजारूं मगर हाँ फिरभी बहुत अच्छा था मेरा बचपन। बचपन में आदमी क्या मिस करता है ये उस वक्त पता नही चलता क्यूंकि उस वक्त इन चीज़ों की फ़िक्र नही होती जो आपके पास होता है वही आपको सबसे बड़ा बलवान और धनि बनाता है। दूसरी चीज़ों के मिस होने का पता तो आपको तब चलता है जब आप जी होश हो जाते हो क्यंकि उस वक्त आप ये समझ पते हैं की अच्छा ये चीज़ भी है बचपन ऐसा भी हो सकता था। यही कारन है की ज्यादा तर लोग अपने बचपन को सही तरीके से एन्जॉय न कर पाने की शिकायत करते है।
मेरे साथ मेरे जिंदगी में कई मिरेकल हुवे है कई ऐसी चीज़ें हुईं है जिसकी मुझे उम्मीद न थी। शायद सबके साथ होता होगा। अनजानों का सहारा और मुसीबत में मदद उसमें से कुछ एक है।
सबसे गहन छाप जो मेरे दिमाग पे किसी चीज़ ने छोरा है वो ये है की समाज और रिस्तेदार जो मेरा मजाक उड़ाते हैं उससे मुझे ऊर्जा मिलती थी न जाने कोनसे सूत्र लागु होते थे मगर मुझे ऊर्जा मिलती थी। ऊर्जा कुछ कर गुजरने की, ऊर्जा शांत रहने की, ऊर्जा बातों को भूल जाने की, ऊर्जा संस्कारी बनने की, ऊर्जा पलट कर जवाब न देने की, ऊर्जा हालत से लड़ने की, ऊर्जा भूखे रहने की, ऊर्जा पढ़ते रहने की, ऊर्जा आंसुओं को पि जाने की ऊर्जा वक्त का इन्तेजार करने की और ऊर्जा आपने आपको समझने की इत्यादि। ...
जब कोई मेरा मजाक उडाता और वहीँ बैठे किसी दूसरे का होसला अफ़ज़ाई करता एक ही चीज़ों पे तो ये बहुत खलता था मगर मैं इसको सकारात्मकता से लेता था और अब भी लेता हूँ क्यंकि ये बात मुझे ये सोचने पे मजबूर करती थी के किस वजह से कोई हमरा मजाक उडाता है क्यों कोई हमारी एक भूल को मेरे खिलाफ हथियार बना के इस्तेमाल करता है क्यों कोई मेरे सामने मेरे पूवजों के वैसी बाते करता है जससे वो मुझे अपने से कमतर दिखा सके।
और इनसब का कारन था की वो हमरे अतीत से नफरत नही करते थे बल्कि वर्तमान से जलने लगे थे और वो हमें एहसास ऐ कमतरी में झोंकना चाहते थे। मगर किसी का गिरना या ऊपर उठना ऊपर वाले के हाँथ में है। सो जिन्हे ऊपर उठाना होता वो मालिक उसको इतनी सब्र तो जरूर देता ही की वो समाज के साइलेंट किलर के वार को बे असर करदे।
अगर आपका कोई मजाक उड़ाए तो आप क्रोध व्यक्त न करें और न ही कोई जवाब दे आप अपने काम में लगेरहें यही उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी की वजह होगी की आप पे उसके बातों का कोई असर नही हो रहा है। ऐसे लोगों का मकसद ही होता है आपको क्रोधित कर आपको मूल मुद्दे से दूर करदेना। इसकी मिसाल बस ऐसे ही है की अगर आपको कोई निचा दिखाए तो आप उस ऊंचाई पे चढ़ जाइए जहाँ से लोग अपने आपको छोटा महसूस करने लगें। और सबसे बड़ी बात आप किसी से उससे अपने ऊपर किये गए अत्याचार का बदला न लें। माफ़ करदें फिरदेखिए की वो आपका दोस्त बंजायेगा और लोगों में आपकी खूबी कहता फिरेगा। और तरह से आपका एक दुश्मन काम हो जायेगा।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यंकि मेरे ख्याल में नए दोस्त बनाने से कहीं बेहतर ये होता है की आप अपने दुश्मन काम करलें।
कये दोस्त बनके हमेशा इंसान फायदे में नही हो सकता मगर दुशमन करके इंसान हमेशा फायदे में ही रहता है।