या रब अपनी कुदरत का कुछ जोहर उछाल दे
इस खाकसार की ज़िन्दगी में कुछ रंग डाल दे
कुछ आरज़ू थी फकत के उनसे रु बरु होते
जो मेरे दिलमे हैं वो उनके भी दिल में डाल दे
तू बन्दों से बड़ा मुहब्बत करता है ऐ खुदा
कुछ आशिकी के गुण मुझमे भी डाल दे
छोटी सी मुरादों का तलबगार रहा है शर्फू
रिज़्क़ न सही ऐ खुदा मगर नियत हलाल दे
इस खाकसार की ज़िन्दगी में कुछ रंग डाल दे
कुछ आरज़ू थी फकत के उनसे रु बरु होते
जो मेरे दिलमे हैं वो उनके भी दिल में डाल दे
तू बन्दों से बड़ा मुहब्बत करता है ऐ खुदा
कुछ आशिकी के गुण मुझमे भी डाल दे
छोटी सी मुरादों का तलबगार रहा है शर्फू
रिज़्क़ न सही ऐ खुदा मगर नियत हलाल दे
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