तौहीद की बातें करता है,तक़दीर की बातें करता है
लेकिन यह दिल हरजाई, रोटी के पीछे मरता है.
आदम को निकाला जाता जब गेहूं वो खा लेते हैं
कुछ सीख मेरे ऐ दोस्त, तू रोटी पे क्यों मरता है
जीवन सुख दुख का मेला है
फिर क्यों जीवन की बातें करता है
गर जान रहे हो तुम इस दुनिया की सच्च्चाई को
फिर दुनिया से क्यों डरता, क्यों रोटी के पीछे मरता है
लेकिन यह दिल हरजाई, रोटी के पीछे मरता है.
आदम को निकाला जाता जब गेहूं वो खा लेते हैं
कुछ सीख मेरे ऐ दोस्त, तू रोटी पे क्यों मरता है
जीवन सुख दुख का मेला है
फिर क्यों जीवन की बातें करता है
गर जान रहे हो तुम इस दुनिया की सच्च्चाई को
फिर दुनिया से क्यों डरता, क्यों रोटी के पीछे मरता है
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