इंसान बस एक भर्मित प्राणी है। हम भरम में रहते हैं भरम में जीते है और दूसरे को भी भर्मित करते रहते है। जीवन कुछ नही बस भरम है। इसका प्रमाण निचे दिए उदहारण से समझने का प्रयास कीजिये।
तारा या सितारा जो चाहो कह लो , मिसाल के तोर पे अगर तारा को ले तो इसी से आप अपने दिमागी फतूर का अंदाज़ा लगा सकते हैं। तारा आसमान में एक नियमित रूप से दिखने वाली चीज़ है मगर आप गौर करे तो इसको देखने वाले करोड़ो लोग इसे अपने नज़रिये से देखते है जैसे खगोलशास्त्री इसे अलग देखता है ज्योत्षी वैज्ञानिक इसे अलग व अपने नज़रिये से देखते हैं वहीँ एक आशिक़ इसे अपने नज़रिये से देखता है और इसके अपने अपने अर्थ निकलता है मगर आप थोड़ा ध्यान केंद्रित करो तो पता लगेगा की उस तारा में ऐसा कुछ है ही नही जो लोग उसमें देखना चाहतें हैं और उसका अर्थ निकलते है।
हैं न हम भरम में?
तारा या सितारा जो चाहो कह लो , मिसाल के तोर पे अगर तारा को ले तो इसी से आप अपने दिमागी फतूर का अंदाज़ा लगा सकते हैं। तारा आसमान में एक नियमित रूप से दिखने वाली चीज़ है मगर आप गौर करे तो इसको देखने वाले करोड़ो लोग इसे अपने नज़रिये से देखते है जैसे खगोलशास्त्री इसे अलग देखता है ज्योत्षी वैज्ञानिक इसे अलग व अपने नज़रिये से देखते हैं वहीँ एक आशिक़ इसे अपने नज़रिये से देखता है और इसके अपने अपने अर्थ निकलता है मगर आप थोड़ा ध्यान केंद्रित करो तो पता लगेगा की उस तारा में ऐसा कुछ है ही नही जो लोग उसमें देखना चाहतें हैं और उसका अर्थ निकलते है।
हैं न हम भरम में?
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