अपने हर मामले का खुद गवाह बन जाऊंगा
छोटों को छोटा कहकर कैसे बड़ा बन जाऊंगा।
मसरूफियत की हद न तोड़ो बे वजह बे काम में
अपनों से दूर होकर कैसे अच्छा बन जाऊंगा।
अदब सीखा है यहाँ कई बेअदबों की महफ़िल में
लफ़्फ़ाज़ों की भीड़ से हटके कैसे सही बन जाऊंगा।
ज़िन्दगी मिटटी के मिटटी में मिलने का खेल है
इस मिटटी के निचे जा के वहीँ मकीं बन जाऊंगा।
बेवजह इतराता फिरूँ इस कोने से उस कोने
चार दिन की ज़िन्दगी फिर गुमनाम बन जाऊंगा।
छोटों को छोटा कहकर कैसे बड़ा बन जाऊंगा।
मसरूफियत की हद न तोड़ो बे वजह बे काम में
अपनों से दूर होकर कैसे अच्छा बन जाऊंगा।
अदब सीखा है यहाँ कई बेअदबों की महफ़िल में
लफ़्फ़ाज़ों की भीड़ से हटके कैसे सही बन जाऊंगा।
ज़िन्दगी मिटटी के मिटटी में मिलने का खेल है
इस मिटटी के निचे जा के वहीँ मकीं बन जाऊंगा।
बेवजह इतराता फिरूँ इस कोने से उस कोने
चार दिन की ज़िन्दगी फिर गुमनाम बन जाऊंगा।
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