आज ही वो दिन था जब सवेरा मेरा हो गया
शहीदो की बलि चढ़ी और देश मेरा हो गया
भगत सिंह, राजगुरु और अशफाकुल्लाह सारे सो गए
देर से ही सही मगर एक दिन सवेरा हो गया
हिन्द को लूटा किसी ने, किसी ने चाक सीना कर दिया
वो दौर था किसी वक्त का अब ये दौर मेरा हो गया
खुदगर्ज थे जो हुक्मरां सरहदों के पार के
शान भी जाती रही और झंडा भी मैला होगया
सिर्फ रस्म ऐ आज़ादी नही जज़्बा भी होना चाहिए
करलूं रुख उसकी तरफ तो वो ख़ित्ता भी मेरा होगया
शहीदो की बलि चढ़ी और देश मेरा हो गया
भगत सिंह, राजगुरु और अशफाकुल्लाह सारे सो गए
देर से ही सही मगर एक दिन सवेरा हो गया
हिन्द को लूटा किसी ने, किसी ने चाक सीना कर दिया
वो दौर था किसी वक्त का अब ये दौर मेरा हो गया
खुदगर्ज थे जो हुक्मरां सरहदों के पार के
शान भी जाती रही और झंडा भी मैला होगया
सिर्फ रस्म ऐ आज़ादी नही जज़्बा भी होना चाहिए
करलूं रुख उसकी तरफ तो वो ख़ित्ता भी मेरा होगया
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