हुजूम देखा और मुफ़लिस का जलता मकान देखा
क्या वो भी एक दिवाली थी जो उस रात मैंने वहां देखा।
शायद के हम भी बिछर जाएं अपने उसूल से
अब तू याद ना दिला के मैंने वहां क्या देखा।
क्या वो भी एक दिवाली थी जो उस रात मैंने वहां देखा।
शायद के हम भी बिछर जाएं अपने उसूल से
अब तू याद ना दिला के मैंने वहां क्या देखा।
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