ज़िन्दगियों को मौतें बिगार देती हैं
वफ़ा को शोहरत उजार देती हैं
पट्टियां आँखों पे बांधे ये अदालत की मूर्तियां
जैसे जुल्म मुंसिफ की आँखें निकाल लेती है
हमतो ढूंढते रहे अदालत में इन्साफ
पता चला अदालतें भी उधार लेती हैं
आँखों पे पट्टियाँ बाँध के इन्साफ
कानों में कुछ कपड़े भी दाल लेती है
कोई बरसो सड़ता रहा इंसाफ के लिए
किसी को इन्साफ खुद ही पुकार लेती है
वफ़ा को शोहरत उजार देती हैं
पट्टियां आँखों पे बांधे ये अदालत की मूर्तियां
जैसे जुल्म मुंसिफ की आँखें निकाल लेती है
हमतो ढूंढते रहे अदालत में इन्साफ
पता चला अदालतें भी उधार लेती हैं
आँखों पे पट्टियाँ बाँध के इन्साफ
कानों में कुछ कपड़े भी दाल लेती है
कोई बरसो सड़ता रहा इंसाफ के लिए
किसी को इन्साफ खुद ही पुकार लेती है
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