बड़ा बेबस सा होगया मैं इस ज़माने में
जाने क्या खता हुई चंद सिक्के कमाने में
कुछ काम अधूरा सा एक ख्वाब पुरानी सी
दिल उलझा रहा कुछ ऐसे ही छोटे से फ़साने में
कब तक रोकूँ इस आह को या रब
उलझा सा रहा हूँ मै तदबीर बनाने में
जाने क्या खता हुई चंद सिक्के कमाने में
कुछ काम अधूरा सा एक ख्वाब पुरानी सी
दिल उलझा रहा कुछ ऐसे ही छोटे से फ़साने में
कब तक रोकूँ इस आह को या रब
उलझा सा रहा हूँ मै तदबीर बनाने में
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