बेचारे मजदूर, जो की असल में मजदूर हैं उनको पता ही नहीं होता की ये हैं क्या और हाकिम मजदुर दिवस के नाम पे छुट्टी का मजा काटते हैं। वो लोग मुझे मजदूर कतई नहीं लगते जो हाकिम के पद पे विराजमान हैं। मजदुर तो केवल वो व्यक्ति है जो मजबूर है किसी की गुलामी करने को और अपने शोषण के लिए आवाज़ इसलिए नहीं उठा सकता क्यूंकि उसे अपने अधिकारों से ज्यादा चिंता दो वक्त के रोटी की होती है। अगर अधिकार के लिए लड़ा तो रोटी नहीं मिलेगी।
इस दिवस को मानाने से ज्यादा जरुरत इसकी जागरूकता फ़ैलाने की है।

कुछ समय पहले की बात है मैं एक कंस्ट्रक्शन साइट पे जूनियर इंजीनियर के पद पे कार्यरत था एक सरकारी कर्मचारी का दौरा हुवा , मेरे अधीन आने वाले एक पेटी कांट्रेक्टर के मजदुर से उन्होंने वार्ता लाप किया और उसके बाद मुझे बहुत फटकार लगाई क्यूंकि उसकी आये सरकारी नियमों के अनुसार कम थी। उन्होंने वहां मौजूद मेर बॉस या फिर उस पेटी कांट्रेक्टर के मालिक को कुछ भी नहीं कहा। मैंने उसके लिए बहुत ग्लानि भी महसूस किया क्यूंकि मुझे मेरे अधीन आने वाले मजदूरों से उनकी परेशानी और दूसरे हकूक के बारे में जानकारी रखनी चाहिए थी। ऐसा सिस्टम देखकर मैं बहुत ही खुश हुवा, जहाँ एक छोटे से मजदुर के अधिकारों की रक्षा के लिए बड़ा से बड़ा अधिकारी खुद भूतल पे उतर कर लड़ाई लड़ता हो। सरकारी कर्मचारी यानि डिप्टी चीफ इंजीनियर के जाने बाद मैंने पेटी कांट्रेक्टर के मालिक और बॉस से बात की मगर मुझे कोई अच्छा रिस्पांस नहीं मिला सब टालते रहे। मैं उस वक्त बिलकुल नया था कोई एक साल से भी कमका तजुर्बा रहा होगा बस क्या था एक दिन मुझे बहुत गुस्सा आगया और मैंने ये सारी घटना को अनसुना करने की जानकारी प्रोजेक्ट मैनेजर को देदी मगर ये क्या प्रोजेक्ट मैनेजर भी शांति से सुनने के बाद बोलै की आप ये सब चक्करों में न पड़ो ये आपका काम नहीं है की किसको कितना पैसा मिलता है और किसका हनन हो रहा है। आप केवल प्रोग्रेस और प्रोडक्टिविटी के पीछे भागो और महीने के आखिर में अगर आपकी तनख्वाह न मिले तो मुझसे बात करो।
मेरे भी खून में कोई पानी नहीं मिला हुवा था। एक अजीब जोश और कुछ कर गुजरने की चाहत अंदर ही अंदर उबाल देने लगा। मैंने कई नए तरकीब सोची के इस मामले को उजागर कैसे करूँ और एक गरीब का हक़ दिलवाऊँ। इसी अधेड़ बुन में एक दिन मैं उस सरकारी कर्मचारी से मिला जो साइट पे आया हुवा था। मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेस से रिटायर्ड इंजीनियर एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व का मालिक लगता था। उससे काफी देर तक बात हुई, उसने मुझे बिच बिच में कई बार शब्बाशी दी मगर रिस्पांस उसका भी अच्छा नहीं था। उसने मुझे कुछ अलग ढंग से समझाया उसके समझने का अर्थ शायद मुझे डराना था उसका कहना था की अगर मैं जयादा बात करूँगा तो मेरे कंपनी वाले मुझे निकाल देंगे और कोई कुछ नहीं कर पाएगा।
इस तरह मैं वहां से भी हताश हो कर वापस आगया। मगर मुझे अब इस बात की चिंता खाये जा रही थी की अगर किसी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है तो इसको उजागर क्यों किया था। और इसी बात के पीछे मैं दिन रात लगा रहा कई लोगों से बात की और कई तरह की बातें मालूम हुई। और जो हकीकत मुझे पता चला वो सुनकर मैं बहुत ही दंग रह गया।
असल में जब कोई भी सरकारी कर्मचारी को उसका हिस्सा नहीं मिलता है तो वो इसतरह के मामलात को उजागर करता है और जब उसका मकसद पूरा हो जाता है तो इसे दबा देता है।
गरीबों की रक्षा तो सिर्फ खुद ही करता है। इंसान तो केवल अपना मकसद पूरा करते हैं। अंततः मजदुर दिवस की मजदूरों को बधाई और हकीमो को इस दिवस के छुट्टी पर बहुत बहुत बधाई।
और कहते है न की जिसका कोई नहीं उसका खुद है यारो .....तो मजदूरों का केवल खुदा ही है।