ग़ुलाम ऐ अदब हूँ करम चाहता हूँ
खुद में, मैं तेरी रजा चाहता हूँ।
तेरा ज़िक्र मैं रात दिन चाहता हूँ
तेरे इश्क़ में डूबना चाहता हूँ।
हर शएे में, तेरी गुफ्तगू चाहता हूँ
तुझसे से मैं तेरा इश्क़ चाहता हूँ।
खुद मे मैं तेरी बंदगी चाहता हूँ
तुझसे मैं तेरी रजु चाहता हूँ।
खुदगर्ज़ हूँ मैं, ये क्या चाहता हूँ
अपने इश्क़ का कुछ नफा चाहता हूँ।
खुद में, मैं तेरी रजा चाहता हूँ।
तेरा ज़िक्र मैं रात दिन चाहता हूँ
तेरे इश्क़ में डूबना चाहता हूँ।
हर शएे में, तेरी गुफ्तगू चाहता हूँ
तुझसे से मैं तेरा इश्क़ चाहता हूँ।
खुद मे मैं तेरी बंदगी चाहता हूँ
तुझसे मैं तेरी रजु चाहता हूँ।
खुदगर्ज़ हूँ मैं, ये क्या चाहता हूँ
अपने इश्क़ का कुछ नफा चाहता हूँ।
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