दिल कश हैं नज़ारे आज़ाद ख़्यालों में
उलझा रहा इंसान बेकार सवालों में।
ये ज़िन्दगी नही थीं आसान मेरे रब्बे रहीम
शायद के कुछ वक्त गुज़रता रज्जाक के ख़्यालों में।
छान दी दुनिया कुछ रिज़्क़ कमाने में
उम्र गुज़री है सिर्फ दो चार निवालों में।
जो चासनी है यहाँ इश्क़ ऐ रहीम में सरफ़राज़
वो देखि नही कहीं बड़े बड़े दिलवालों में।
उलझा रहा इंसान बेकार सवालों में।
ये ज़िन्दगी नही थीं आसान मेरे रब्बे रहीम
शायद के कुछ वक्त गुज़रता रज्जाक के ख़्यालों में।
छान दी दुनिया कुछ रिज़्क़ कमाने में
उम्र गुज़री है सिर्फ दो चार निवालों में।
जो चासनी है यहाँ इश्क़ ऐ रहीम में सरफ़राज़
वो देखि नही कहीं बड़े बड़े दिलवालों में।
Great going :)
ReplyDelete