पूरे हफ्ते काम करने के बाद जुमा के दिन खाली वक़्त में असर के नमाज के बाद युही कहीं जाने का मन हुवा तो मैं मारया ऑन्टी से मिलने को सोचने लगा। उन्होंने कई बार बुलाया था, मगर मैं हर बार उनको आऊंगा आऊंगा कहकर टाल देता था।
फिर मैं सोचने लगा इतना कम वक़्त देकर जाना सही होगा क्या? फिर दिमाग में बात आयी के ये सब सोचते सोचते कई जगह नहीं जा पाता हूँ और लोग बुरा मान जाते हैं। इसलिए मुझे अभी इसी वक़्त मारया ऑन्टी से मिलने जाना चाहिए।
ये मारया ऑन्टी श्रीलंका से हैं और हमारे पिछले दफ्तर की सहकर्मी थीं। इनके पति भी वहीँ कार्यरत थे। ये लोग अभी किसी दूसरे दफ्तर में काम करते हैं।
मैंने उनको मैसेज किया के "मैं आरहा हूँ ", उधर से जवाब आया "जल्दी आईये हम आपका इंतज़ार कर रहे हैं ".
ज्यादा वक़्त नहीं लगा गूगल मैप ऑन करके व्हाट्सप्प के लोकेशन के सहारे यही २५-३० मिनट में, मैं उनके घर पहुँच गया। उनके घरका जब दरवाज़ा खुला तो वहां कुछ और ही नज़ारा था। चीज़ें इधर उधर बिखरी हुई थीं। खाना टेबल पे अभी लगा हुवा था जैसे खाने वाले का इंतज़ार कर रहा हो। अंकल ऑन्टी की भवें तानी हुई थी। थोड़ी देर झूठी मुस्कान के साथ बात करने के बाद अंकल वहां से उठ गए और ऑन्टी अकेली हो गयीं या कहले की अंकल उनके नज़रों से ओझल हो गए। मौक़ा देखकर मैंने ऑन्टी से पूछा के ये सब क्या है ? फिर ऑन्टी ने धीरे धीरे अंकल की प्रेम कहानी सुनानी शुरी की और अगले आधे घंटे तक बिन रुके बोलतीं रहीं। सारी कहानी सुनने के बाद मैंने कहा के लेकिन अंकल के साथ तो मैंने क़रीब दो साल काम किया है और इनके संस्कार के तो लोग कस्मे कहते थे, ये सब जो आप कह रहीं हैं इस्पे मुझे यक़ीन नहीं हो रहा है। ऑन्टी ने कहा तुम सही हो कोई भी यक़ीन नहीं करेगा मगर शायद तुम दिमाग पे जोर डालो तो तुम्हे कई वाक़ेयात याद आएंगे जिसमे कई बार लोग झूठी बनावटी शरीफाना ज़िन्दगी बिताते हैं। फिर उन्होंने एक कहानी सुनाई।
एक दफा एक गाओं में दो मिया बीवी रहते थे दोनों में बहुत मोहब्बत थी। दोनों एक दूसरे के पूरक से मालूम परते थे। एक दिन की बात है जब मिया घर आया तो देखा की उसकी बीवी जारो क़तार रो रही है। उसने कारण मालूम करना चाहा तो पता चला के वो इसलिए रो रही थी क्यूंकि उसके आँगन में एक अमरुद का पेड़ था। और उनका कहना था की मुझे खौफ हो रहा है के इस्पे बैठने वाले परिंदे कई बार मुझे नंगे सर बे पर्दा देखते हैं कहीं इसके लिए अल्लाह मुझे जहन्नम में न डाल दे। मर्द बहुत खुश हुवा उसने आओ देखा न ताओ कुल्हाड़ी उठाई और पेड़ को काट दिया। फिर दिन गुज़रते गए चीज़ें चलती रहीं। एक दिन ऐसा हुवा के वो काम से जल्दी घर आगया और तब उस जमाने में फ़ोन तो होते नहीं थे के पल पल की खबर से आगाह किया जाये। इसलिए बिना खबर के वो घर आगया। अभी दरवाज़े के क़रीब जाने ही वाला था के घर के अनादर से किसी के फुसफुसाने कीआवाज़ आयी। कान लगा कर कुछ देर तक वहां रुका रहा तो उसे अंदाज़ा हुवा के ये वही इंसान उसके बीवी साथ था जिससे किसी भी रिश्ते से उसकी बीवी इंकार करती आयी थी।
वो बहुत मायूस हुवा और पिछले क़दम ही वापस हो गया और दो दिन चलने के बाद एक न मालूम जगह पहुंचा तो वहां बहुत भीड़ लगी हुई थी पूछने पे पता चला के ये दारुल हुकूमत है और भीड़ इसलिए इकठ्ठा है क्यूंकि बादशाह के ख़ज़ाने से माल चोरी हुवा है। तभी वहां से एक इंसान का गुज़र हुवा जो अपने हाथ के दोनों अँगुलियों के बल चल रहा था। दरयाफ्त करने पे मालूम हुवा के ये एक बहुत ही परहेज़गार इंसान है और अपने पैरों के बल इसलिए नहीं चलते क्यूंकि पैरों का रकबा बड़ा होता है और उसे डर है के कहीं कोई चींटी या कोई दूसरी मख्लूक़ उससे दबके न मर जाये या कोई नुक्सान हो जाये।
ऐसा सुनकर उसके मुँह से बेसाख्ता निकला, मुझे अभी लेचलो बादशाह के पास मुझे ख़ज़ाने चोर का पता चल गया है। बहुत कह सुन होने के बाद उसे बादशाह के सामने पेश किया गया। उसके जवाब से बादशाह कुछ लम्हा खामोश सर झुकाये सोचता रहा फिर कहा के तुझे पता है के तुमने किसकी गिरेबान में हाथ डाला है? फिर बादशाह ने हुक्म दिया के उस शख्श को गिरफ्तार करके पूछ ताछ की जाये। पूछ ताछ में उसने अपना जुर्म क़बूल लिया। बादशाह को बहुत हैरत हुई और पूछा के तुमने कैसे पहचाना के यही चोर है इसके हुलिए या रिकॉर्ड से तो ऐसी कोई बात मालूम नहीं परती। उसने कहाँ ये मेरा जाती तज़र्बा है , जब कोई इंसान ज्यादा दिखावा करने लगे तो समझो वो कोई बड़ी गलती को छुपा रहा है। तुम्हारे अंकल भी ऐसे ही थे समझो। फिर ऑन्टी चाय बनाने चलीं गयीं और दूसरी तरफ से मुस्कुराते अंकल बाजु में आकर
बैठ गए। मैंने अंकल से कहा ये सब क्या सुना मैंने। ........उन्होंने मुस्कुराते हुवे जवाब दिया अगला एपिसोड कअगले जुमा को कटारा विलेज में ५ बजे शाम में मिलिए, मेरा पक्ष्च आप वहीँ सुनेंगे।
कहने का मतलब ये हैं वाक़ई लोग कई बार ऊपर से संस्कारो से भरे होते हैं मगर अंदर से मुकम्मल। .......

ये मारया ऑन्टी श्रीलंका से हैं और हमारे पिछले दफ्तर की सहकर्मी थीं। इनके पति भी वहीँ कार्यरत थे। ये लोग अभी किसी दूसरे दफ्तर में काम करते हैं।
मैंने उनको मैसेज किया के "मैं आरहा हूँ ", उधर से जवाब आया "जल्दी आईये हम आपका इंतज़ार कर रहे हैं ".
ज्यादा वक़्त नहीं लगा गूगल मैप ऑन करके व्हाट्सप्प के लोकेशन के सहारे यही २५-३० मिनट में, मैं उनके घर पहुँच गया। उनके घरका जब दरवाज़ा खुला तो वहां कुछ और ही नज़ारा था। चीज़ें इधर उधर बिखरी हुई थीं। खाना टेबल पे अभी लगा हुवा था जैसे खाने वाले का इंतज़ार कर रहा हो। अंकल ऑन्टी की भवें तानी हुई थी। थोड़ी देर झूठी मुस्कान के साथ बात करने के बाद अंकल वहां से उठ गए और ऑन्टी अकेली हो गयीं या कहले की अंकल उनके नज़रों से ओझल हो गए। मौक़ा देखकर मैंने ऑन्टी से पूछा के ये सब क्या है ? फिर ऑन्टी ने धीरे धीरे अंकल की प्रेम कहानी सुनानी शुरी की और अगले आधे घंटे तक बिन रुके बोलतीं रहीं। सारी कहानी सुनने के बाद मैंने कहा के लेकिन अंकल के साथ तो मैंने क़रीब दो साल काम किया है और इनके संस्कार के तो लोग कस्मे कहते थे, ये सब जो आप कह रहीं हैं इस्पे मुझे यक़ीन नहीं हो रहा है। ऑन्टी ने कहा तुम सही हो कोई भी यक़ीन नहीं करेगा मगर शायद तुम दिमाग पे जोर डालो तो तुम्हे कई वाक़ेयात याद आएंगे जिसमे कई बार लोग झूठी बनावटी शरीफाना ज़िन्दगी बिताते हैं। फिर उन्होंने एक कहानी सुनाई।
एक दफा एक गाओं में दो मिया बीवी रहते थे दोनों में बहुत मोहब्बत थी। दोनों एक दूसरे के पूरक से मालूम परते थे। एक दिन की बात है जब मिया घर आया तो देखा की उसकी बीवी जारो क़तार रो रही है। उसने कारण मालूम करना चाहा तो पता चला के वो इसलिए रो रही थी क्यूंकि उसके आँगन में एक अमरुद का पेड़ था। और उनका कहना था की मुझे खौफ हो रहा है के इस्पे बैठने वाले परिंदे कई बार मुझे नंगे सर बे पर्दा देखते हैं कहीं इसके लिए अल्लाह मुझे जहन्नम में न डाल दे। मर्द बहुत खुश हुवा उसने आओ देखा न ताओ कुल्हाड़ी उठाई और पेड़ को काट दिया। फिर दिन गुज़रते गए चीज़ें चलती रहीं। एक दिन ऐसा हुवा के वो काम से जल्दी घर आगया और तब उस जमाने में फ़ोन तो होते नहीं थे के पल पल की खबर से आगाह किया जाये। इसलिए बिना खबर के वो घर आगया। अभी दरवाज़े के क़रीब जाने ही वाला था के घर के अनादर से किसी के फुसफुसाने कीआवाज़ आयी। कान लगा कर कुछ देर तक वहां रुका रहा तो उसे अंदाज़ा हुवा के ये वही इंसान उसके बीवी साथ था जिससे किसी भी रिश्ते से उसकी बीवी इंकार करती आयी थी।
वो बहुत मायूस हुवा और पिछले क़दम ही वापस हो गया और दो दिन चलने के बाद एक न मालूम जगह पहुंचा तो वहां बहुत भीड़ लगी हुई थी पूछने पे पता चला के ये दारुल हुकूमत है और भीड़ इसलिए इकठ्ठा है क्यूंकि बादशाह के ख़ज़ाने से माल चोरी हुवा है। तभी वहां से एक इंसान का गुज़र हुवा जो अपने हाथ के दोनों अँगुलियों के बल चल रहा था। दरयाफ्त करने पे मालूम हुवा के ये एक बहुत ही परहेज़गार इंसान है और अपने पैरों के बल इसलिए नहीं चलते क्यूंकि पैरों का रकबा बड़ा होता है और उसे डर है के कहीं कोई चींटी या कोई दूसरी मख्लूक़ उससे दबके न मर जाये या कोई नुक्सान हो जाये।
ऐसा सुनकर उसके मुँह से बेसाख्ता निकला, मुझे अभी लेचलो बादशाह के पास मुझे ख़ज़ाने चोर का पता चल गया है। बहुत कह सुन होने के बाद उसे बादशाह के सामने पेश किया गया। उसके जवाब से बादशाह कुछ लम्हा खामोश सर झुकाये सोचता रहा फिर कहा के तुझे पता है के तुमने किसकी गिरेबान में हाथ डाला है? फिर बादशाह ने हुक्म दिया के उस शख्श को गिरफ्तार करके पूछ ताछ की जाये। पूछ ताछ में उसने अपना जुर्म क़बूल लिया। बादशाह को बहुत हैरत हुई और पूछा के तुमने कैसे पहचाना के यही चोर है इसके हुलिए या रिकॉर्ड से तो ऐसी कोई बात मालूम नहीं परती। उसने कहाँ ये मेरा जाती तज़र्बा है , जब कोई इंसान ज्यादा दिखावा करने लगे तो समझो वो कोई बड़ी गलती को छुपा रहा है। तुम्हारे अंकल भी ऐसे ही थे समझो। फिर ऑन्टी चाय बनाने चलीं गयीं और दूसरी तरफ से मुस्कुराते अंकल बाजु में आकर
बैठ गए। मैंने अंकल से कहा ये सब क्या सुना मैंने। ........उन्होंने मुस्कुराते हुवे जवाब दिया अगला एपिसोड कअगले जुमा को कटारा विलेज में ५ बजे शाम में मिलिए, मेरा पक्ष्च आप वहीँ सुनेंगे।
कहने का मतलब ये हैं वाक़ई लोग कई बार ऊपर से संस्कारो से भरे होते हैं मगर अंदर से मुकम्मल। .......