कहते हैं की जमीन में लुसाता हुवा दुपट्टे का पल्लू का चलन ओमान से शुरू था। सामरी जादूगर जो की आज भी जादूगरों का उस्ताद माना जाता है और बड़े बड़े जादूगरों की जादूगरी तबतक पूरी नहीं मानी जाती जबतक के जादूगर सामरी को उसके क़ब्र पर जाकर सलाम न करदे।
होता ये था की सामरी औरतों के पैरो के निशान की मिटटी को लेकर ऐसा जादू करता था की वो नारी उसके या जिसके नाम से मिटटी पढ़ा गया हो उसके वस में हो जाती थी। और ये मामला ऐसा तूल पकड़ा के बदअमनी सी फ़ैल गयी। तभी एक बुज़ुर्ग को ख्याल आया के क्यों न ऐसा कोई इंतेज़ाम किया जाये जिससे औरतों के चलने के बाद उनके पैरों के निशान ही न रहें और तभी चलन में आया लुसाता हुवा दुपट्टे का पल्लू। ........
होता ये था की सामरी औरतों के पैरो के निशान की मिटटी को लेकर ऐसा जादू करता था की वो नारी उसके या जिसके नाम से मिटटी पढ़ा गया हो उसके वस में हो जाती थी। और ये मामला ऐसा तूल पकड़ा के बदअमनी सी फ़ैल गयी। तभी एक बुज़ुर्ग को ख्याल आया के क्यों न ऐसा कोई इंतेज़ाम किया जाये जिससे औरतों के चलने के बाद उनके पैरों के निशान ही न रहें और तभी चलन में आया लुसाता हुवा दुपट्टे का पल्लू। ........
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