एक सुनसान सड़क पर और क्या होगा
जब जिंदगी ना मुकम्मल हो तो क्या होगा
इस सरसराती हवाओं वाली बरसात की रात
शायद बादलों ने कोई ग़ज़ल कह दिया होगा
शोर करती हुई आसमान से गिरतीं ये बुँदे
जैसे मकता पे वाह वाह कह दिया होगा
इन बिजलियों में भी एक तूफ़ान सा मचा है
कोई शायर है जो मैखाने को चल दिया होगा
ये तेज़ बादलों की गरग्राहट और फिर रौशनी
मुमकिन हो की चाँद आज कहीं छुप गया होगा
दूर तक फैला सड़को पे बेबस सन्नाटा
जाहिर है की हर कोई डर गया होगा
मैं ही हूँ अकेला इस गुमनाम सड़क पर
शायद के महबूब इधर या उधर गया होगा
जब जिंदगी ना मुकम्मल हो तो क्या होगा
इस सरसराती हवाओं वाली बरसात की रात
शायद बादलों ने कोई ग़ज़ल कह दिया होगा
शोर करती हुई आसमान से गिरतीं ये बुँदे
जैसे मकता पे वाह वाह कह दिया होगा
इन बिजलियों में भी एक तूफ़ान सा मचा है
कोई शायर है जो मैखाने को चल दिया होगा
ये तेज़ बादलों की गरग्राहट और फिर रौशनी
मुमकिन हो की चाँद आज कहीं छुप गया होगा
दूर तक फैला सड़को पे बेबस सन्नाटा
जाहिर है की हर कोई डर गया होगा
मैं ही हूँ अकेला इस गुमनाम सड़क पर
शायद के महबूब इधर या उधर गया होगा
No comments:
Post a Comment