जीत कर भी हार जाना
सही कहा जाता है की इंसान पूरी दुनिया से तो जीत जाता है पर अपनों से हार जाता है। कई बार हमारी भी ऐसी हालात हो जाती हैं, आपका अपना जमीर मर सा जाता है आँखों के सामने वो सारी गलत चीज़ें को आप होने देते हैं जिसको आप कल तक बुरा कहतें थे और आप कुछ बोलते नही।
अंदर ही अंदर ज्वालामुखी की तरह सुलग रहे होते है मगर चेहरे पर झूटी मुस्कान लिए रिश्ते निभाते रहते है और एक दूसरे के करीब होने की नाकाम कोशिश जारी रखते हैं।
मगर क्या नैतिकता का ढोंग करना इतना मत्वपूर्ण है की आप अपने आपकी भी न सुनें!!
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