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Wednesday, 19 November 2014

       कहते हैं तू नही आएगी

सब कहते  हैं तू अब नही आएगी
क्या ये सच है और तू अब नही आयेगी।।

ऐसी क्या खता हुई जो माफ़ी के लायक भी नही
हम तो बच्चे हैं तेरे ऐ माँ क्या अब कोई गुंजाइश नही।

कब तक रूठी रहेगी अपने इस लाल से
कुछ तो बता की खता हुई क्या इस नासाज से। 

तेर बिना अब मैं भी मर जाऊंगा
और तू जहाँ है उधर ही आऊंगा। 

कह दे की तू वापस लौट आएगी
रूह जब जिस्म से निकलेगी तो उधर आएगी। 

क्यूँ खुदा किसी की चाहत इस कदर छीन लेता है
सुना है खुद ऐसे में अपने बन्दों की आजमाइश लेता है।

नही कोई दूसरा जो लौटा सके इस नेमत को
कोई झूट ही कह सकता है, में हूँ ना तू मत रो।

सब बोलतें हैं अब भासा बदल बदल कर
अब तो खाना भी मिलता है तो मिलो चल कर। 

बस इस दुनिया की तन्हाई है और तेरी याद है
ऐ खुद मेरी दुआ कबूल करले यही मेरी फरयाद है
 

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