इस बार हफ्ते के दिन मैं अपने एक गुरु जी से मिलने गया। उनको देखा वो एक किताब पढ़ रहे थे जिसमे लेखक 'जोनाथन केस्टनबाम' के एक कथन को विस्तार से बता रहे थे।
वे कह रहे थे के "एक बार एक युवा जोड़ा एक नए पड़ोस में रहने गया।
अगली सुबह जब वे नाश्ता कर रहे थे, तो युवती ने अपने पड़ोसी को बाहर कपड़े सुखाते हुए देखा। "वह कपड़े बहुत साफ नहीं धुले हैं। शायद वह नहीं जानती कि सही तरीके से कैसे कपड़ा धोया जाता है। या फिर शायद उसे बेहतर कपड़े धोने का साबुन चाहिए।"
उसका पति चुप रहा, देखता रहा। हर बार उसके पड़ोसी वैसा ही धोया कपड़ा सुखाते रहे और युवती वही टिप्पणी करती रही।
एक महीने बाद, महिला बाहर तार पर एक अच्छा साफ धोया हुवा कपड़ा देखकर हैरान रह गई और उसने अपने पति से कहा, "देखो, उसने आखिरकार सही तरीके से धोना सीख लिया । मुझे आश्चर्य है कि उसे यह किसने सिखाया होगा ?"
पति ने उत्तर दिया, "मैं आज सुबह मैं जल्दी उठा था और अपनी खिड़कियां साफ की हैं "
और ऐसा ही जीवन के साथ है... दूसरों को देखते समय हम जो देखते हैं, वह उस खिड़की की स्पष्टता पर निर्भर करता है जिससे हम देखते हैं।
इसलिए दूसरों को आंकने में जल्दबाजी न करें, खासकर यदि आपके जीवन का दृष्टिकोण क्रोध, ईर्ष्या, नकारात्मकता या अधूरी इच्छाओं से घिरा हो।
"किसी व्यक्ति को आंकना यह परिभाषित नहीं करता कि वे कौन हैं। यह परिभाषित करता है कि आप कौन हैं।"
~~ जोनाथन केस्टनबाम
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