ताल्लुकात ! ये एक ऐसी चीज़ है जो शायद हर किसी से रखना चाहिए। ऐसा कहना है असलम चाचा का, और आगे सुनिए वो क्या कहते हैं इस्पे।
उनका कहना है की ये जरुरी नहीं की कोई आदमी आपके बात का हमेशा जवाब दे, या आप किसी के बात का हमेशा जवाब दें अब ख्वाह वो बात अच्छी हो या बुरी, मगर इसका मतलब कतई नहीं है की आप किसी से नाराज़ हैं या आपसे कोई नाराज़ है। और असलम चाचा कहते हैं की अगर किसी बात का जवाब न देकर नाराजगी जाहिर करना है तब भी ये कमसे कम हर बात का जवाब देकर झगरने से कहीं अच्छा है।
किसी से बात का जवाब न मिलने पर किसी से नाता नहीं तोरना चाहिए या उस इंसान को सिर्फ इस बिना पे गलत नहीं समझना चाहिए। इंसान की पूरी ज़िन्दगी प्राथमिकता पे टिकी है और जीवन के अलग अलग पराओ पे अलग अलग प्राथमिकता होती है वैसे ही हर घंटे की प्राथमिकता भी अलग अलग होती और कई बार इंसान अपनी प्राथमिकताओं में उलझ जाता है।
उनका कहना है की ये जरुरी नहीं की कोई आदमी आपके बात का हमेशा जवाब दे, या आप किसी के बात का हमेशा जवाब दें अब ख्वाह वो बात अच्छी हो या बुरी, मगर इसका मतलब कतई नहीं है की आप किसी से नाराज़ हैं या आपसे कोई नाराज़ है। और असलम चाचा कहते हैं की अगर किसी बात का जवाब न देकर नाराजगी जाहिर करना है तब भी ये कमसे कम हर बात का जवाब देकर झगरने से कहीं अच्छा है।
किसी से बात का जवाब न मिलने पर किसी से नाता नहीं तोरना चाहिए या उस इंसान को सिर्फ इस बिना पे गलत नहीं समझना चाहिए। इंसान की पूरी ज़िन्दगी प्राथमिकता पे टिकी है और जीवन के अलग अलग पराओ पे अलग अलग प्राथमिकता होती है वैसे ही हर घंटे की प्राथमिकता भी अलग अलग होती और कई बार इंसान अपनी प्राथमिकताओं में उलझ जाता है।